– सरिता सेठी
#सिल्वर जुबली # मेरे हमसफ़र
बहुत आसान तो नहीं था ये सफर ,पर
तुम्हारे साथ मुश्किल भी नहीं लगा ये सफर,
मेरी हर परेशानी का निकाला हल,
मेरी मुश्किल को दूर किया तुमने हर पल,
पग पग पर सदा दिया मेरा साथ,
बिना जाने ही मदद के लिए बढाया सदा हाथ,
मेरे जीवन के सारे कष्ट हरे,
लेकिन तुम सदा ही रहे मेरी समझ से परे,
तुम्हें समझने का जितना भी किया यत्न,
बेकार ही रहे मेरे सारे प्रयत्न,
हमारी जीवन की माला में जुड़ी एक नई कड़ी,
जब हमारे जीवन में आई हमारी नन्ही परी,
हम सब के जीवन को इसने रोशन किया,
सभी की लाडली बन गई छोटी सी रिया,
हमारी माला में जुङा एक नया मनका,
जिसे पाकर तृप्त हुआ तन मन सबका,
“उत्सव ” को पाकर जीवन भी हुआ उत्सव सा,
जीवन भी लगने लगा खुशियों से भरा सा,
छोटी छोटी खुशियों को जीते चले,
एक दूसरे के साथ आगे बढ़ते चले,
प्रोफैशनल कैरियर में भी सदा दिया मेरा साथ,
आत्मविश्वास जगा कर हर पल दिया हाथ में हाथ,
मैं जीवन की राह पर आगे बढ़ती रही,
हर पल तुम्हारे साथ को भी महसूस करती रही,
जीवन में हर कदम पर मेरा साथ निभाया,
मैं हूँ कुछ खास, ये अहसास तुमने सदा कराया,
मेरी छोटी छोटी खुशियों को पूरा करने का किया सदा प्रयास,
मेरी सिंगिंग और मेरे लेखन को बताया सदा खास,
ऐसा नहीं है कि हमारे बीच नहीं हुआ कोई टकराव, पर
तुम्हारी केयरिंग हैबिट भर देती है सारे घाव,
विचारों का अन्तर तो सदा ही पाया,
जिन्दगी को अपने तरीके से जीने का ढंग भी सिखाया,
कभी कभी कहती हूँ कि पंडित ने राशि गलत मिला दी,
दो अलग विचारों वाले व्यक्तियों की शादी करवा दी।
घर में टिक कर रहना तुम्हें खलता है ऐसे,
एक म्यान में दो तलवारें न टिकती हों जैसे।
परन्तु फिर भी तुम्हारे रूप में एक आदर्श जीवन साथी को है पाया,
सरिता-सागर के मिलन को सार्थक होते हुए पाया।
मेरी कविता “सागर ” के आदर्श पात्र हो तुम,
सरिता के जीवन को अपने आप में समेटने वाले सागर हो तुम।
कठिन पथ पर सदा मेरा साथ देते रहना,
मेरे जीवन को यूँ ही सदा महकाते रहना।