ऐ जिन्दगी

सरिता सेठी

ऐ जिन्दगी
बहुत करीब से देखा है तुझे,
तेरा इतराना तेरा इठलाना,
तेरा पल पल नाराज़ हो जाना,
तेरा रूठना और तेरा ही मनाना,
कभी पतझड़ की तरह चरमराना,
तो कभी वसन्त सा महकना।o
तेरे सभी रूपों से हो गए वाकिफ़,
तेरे सभी रंगों से सरोबार।

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