सपनों की फसल

सावन आता है
तो बहुत से सपने भी साथ लाता है।
बोए जाते है सपनों के बीज,
गीली मिट्टी में।
इस तरह कई सावन आते और जाते हैं,
हर सावन में केवल सपने बोए जाते हैं।
आशा की उपजाऊ भूमि पर ही
फिर एक दिन फूटता है अंकुर सपनों का,
और फलता फूलता है सपना
परिश्रम की सिंचाई रंग लाती है
और सपनों को एक ऊँची उड़ान दे जाती है।

अभिव्यक्ति – सोच का सैलाब

सरिता सेठी

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